निःशुल्क सदस्यता प्राप्त करें ...
अपनी रचनाओं को पोस्ट करें तथा लेखक मित्रों से जुड़ें और उनकी रचनाओं को पढ़ें.
उनके अनुभओं से सीखने का सुनहरा अवसर प्राप्त करें.
क्या यह किताब मेरे स्वभाव के अनुकूल है?
क्या यह किताब मुझे पढनी चाहिए? यदि आपके मन में ऐसे सवाल है,
तो पढ़िए पुस्तक समीक्षा और चुनिए अपनी मन पसंद किताब.
जुड़िये एक दुसरे से मेरी लेखनी के मंच पर.
अपनी रचनाएँ साझा कीजिये तथा साथी लेखकों की रचनाओं को पढ़िए.
अपने - अपने सोशल मीडिया लिंक पर रचनाएँ शेयर भी किजिये.
यह मंच आर्यमौलिक पब्लिकेशन द्वारा संचालित है. हमसे जुड़कर अपनी रचनाएँ मेरी लेखनी के इस पटल पर स्व-प्रकाशित करें. आपकी चुनी हुई रचनाओं को पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया जायेगा.
जाने कैसी आहट है.. गुज रही मेरे कानों में। मैं समझी तुम आए शायद, स्वप्न मिलन के देख रही थी। अनसुलझी मैं अनजानी, भरम मेरा शायद अपना था। मेरी धड़कन
जीवन का सच हैअधिक मैं क्या बोलूं?क्या मेरा कद हैअधिक मैं क्या बोलूं? बिना छिद्र बंशी की कल्पना,करके देखोछिद्र रहित सहनाई में सुर,भरके देखो प्रेम प्रबल हो, हर अवगुण,छुप जाता
इन दिनों!! खामोशी की चादर ओढ़ कर,शब्द शोर करते हैं,मत कुरेद खामोशी मेरी..दर्द उभर आये,दबे हुए जज्बातों को,हवा बहा ले जाये।सुना है इन दिनों!!प्रेम में हूँ!!फिर अभी तक,कहाँ थे तुम?मैं
खिली थी आँगन में,बनकर जूही की कली!आज फिर मुरझा गयी,किसी आँगन की कली।क्यों बहक जाती हैं?ये कलियाँ!किसी भौरे के आने पर,जानती हैं नही क्या?हस्र अपना…किसी दिन मार दी जाओगी।मिलोगी किसी
भूमि पर पड़ा सैनिक,मौत की कगार परघाव से रिसता खून,सुर्ख लाल!पीड़ा से बेहाल,प्यासा !आवाज लगाता,मुख से नही निकलती आवाज।चेहरे पर रिक्तिता का भाव,आसमान को निहारता,शून्य हैं भाव,पर,तैरता चित्र यादों का।जीवन
रूप का श्रृंगार है,प्रकृति का उपहार है स्त्री!समर्पित होना चाहती है,बिल्कुल बुद्ध की तरह तुममें,शांत चित्त! खो जानाचाहती है तुममें।अधरों पर मुस्कान लिये,खिली कली हो जैसे।तुम्हें अपना सर्वस्व ,मानती है
सुंदरता की अलग -अलग परिभाषा है, किसी को सौंदर्य आँखों में झलकता है, किसी को प्रकृति में दिखती है आभा । कल मैने देखा उसकी आँखों में.. झलक रहा था
नही बोलना चाहता हूँ..मगर फिर भी सच तो बोलूँगा।सुने कोई ,न सुनेमगर मैं फिर भी बोलूँगा।ये सत्ता पर काबिज हैं,जोमैं उनकी पोल खोलूँगा। लगाया है ईमानदारी का ठप्पा…करते हैं ये
ये कैसी रुनझुन है?सांसों का बन्धन है!मैं को हार कर मैं,थोड़े से प्यार पर,आज कुर्बान जाऊँ,हाँ मैं खुद को वार जाऊँ।छोड़कर बन्धन मैं,रूह में उतार जाऊँ,वर्तिका हो स्नेह की,दीप राग
दुनियां में बहुत सारे ऐसे लोग भी हैं जो खुद हालातों और परेशानियों से लड़कर स्वतंत्र जिंदगी जीते हैं अपराजिता में निम्मो की एक ऐसे संघर्ष की कहानी हैं जो
लेखन प्रतियोगिता का आयोजन
हम समय समय पर आपकी रचनाओं की समीक्षा करते रहते हैं. जो रचनाएँ इस पटल पर अधिक पसंद की जाती हैं, अथवा हमें अच्छी लगती हैं, हम उन लेखकों को प्रशस्ति पत्र द्वारा सम्मानित करते हैं. जिससे उन्हें और अधिक लोगों तक अपनी रचना पहुँचाने में मदद मिलती है.
इतना ही नहीं हम आपकी चुनिन्दा रचनाओं को अन्य लेखकों के साथ पुस्तक रूप में प्रकाशित भी करते हैं.
अपनी रचनाओं को स्व-प्रकाशित करने हेतु इस मंच पर अपना प्रोफाइल आज ही बनायें.
कौन सी किताब पढ़ें?
किताबों के प्रति अज्ञानता आपका ज्ञान सुदृढ़ नहीं होने देता. यदि आप नहीं जानते कौन सी किताब कैसी है और उसे पढने लगे, तो हो सकता है यह आपकी उर्जा और समय दोनों का दुरपयोग हो.
हम आपके लिए पुस्तकों की समीक्षा एवं सारांश इस कड़ी में प्रकाशित करते रहेंगे. यदि आप चाहते हैं अच्छी किताबें आप तक पहुंचे तो हमें निचे दिए गए फॉर्म में अपना ईमेल आईडी प्रविष्ट करें और सब्सक्राइब करें.
पुस्तक समीक्षा पढने के लिए इस लिंक पर जाएँ.
खबरों में रोज नया फिजूका पढ़ कर चच्चा रोज की तरह आज भी आ धमके थे. सोचा था आज रविवार यनि छुट्टी का दिन हैं तो थोड़ा आराम से उठा
स्त्री..चाहती है मनु होना! वीर,निर्भीक,पराक्रमी और परतंत्रता के विरुद्ध। मगर ढूंढता है पुरुष..एक सीता! पतिव्रता,करने वाली अपने प्रेम की प्रतीक्षा..! और अंत में अग्नि परीक्षा। खुद को करना होता है
श्रुति हाथ में कॉफी का मग लिए उपन्यास पढ़ने में मग्न थी। देखने में खूबसूरत, शरीर से छरहरी, नटखट और मस्तमौला श्रुति को बचपन से ही खुद को मेंटेन करने
गुजरते हुए एक-एक पल के साथ गुजर रहा है साल यह , इसके साथ ही दूर चले जाए सबके जीवन के अंधियारे , आने वाला साल नया आए ढेरों खुशियां
गुजरते हुए एक-एक पल के साथ गुजर रहा है साल यह , इसके साथ ही दूर चले जाए सबके जीवन के अंधियारे , आने वाला साल नया आए ढेरों खुशियां
औरत के संघर्ष की दास्तां – कहानी संग्रह
अपराजिता – “औरत के संघर्ष की दास्तां” जल्द ही अमेज़न किन्डल पर ebook के रूप में प्रकाशित होने जा रही है. इसके अतिरिक्त यह किताब “मेरी लेखनी” पर भी उपलब्ध होगी.
विदित हो की, “मन के अल्फाज़” और “हिंदी का संसार” इन दो Nblik समूहों ने आर्यमौलिक पब्लिकेशन के तत्वावधान में प्रतियोगिता का आयोजन किया था, जिनमें कुछ बेहतरीन कहानियों को इस किताब के लिए चुना गया है.
ऐसी और कहानियों के लिए “मेरी लेखनी” पर प्रतियोगिताओं के आयोजन होते रहेंगे तथा नए लेखक अपनी कहानियों को निःशुल्क प्रकाशित कर पाएंगे. इसके लिए आज ही जुड़ें “मेरी लेखनी पर”.
अपनी रचनाओं को पोस्ट करें तथा लेखक मित्रों से जुड़ें और उनकी रचनाओं को पढ़ें.
उनके अनुभओं से सीखने का सुनहरा अवसर प्राप्त करें.
लगाया था बसन्ती टेसू के पुष्प आँगन में- कल्याणी तिवारी
मई 19, 2023
लगता है तुम हो जैसे-कवितायेँ (कल्याणी तिवारी)
फ़रवरी 6, 2023
जीवन का सच है अधिक मैं क्या बोलूं?
नवम्बर 22, 2022
इन दिनों खामोशी की चादर ओढ़कर
नवम्बर 22, 2022
खिली थी आँगन में, बनकर जूही की कली
नवम्बर 22, 2022
सैनिक – कविता – कल्याणी तिवारी
नवम्बर 22, 2022
दुल्हन – कविता – कल्याणी तिवारी
नवम्बर 20, 2022
By browsing this website or availing the services
you must be agree to our Terms and Conditions
Your Privacy is important to us.
© Meri Lekhani | All rights reserved